आज 21 जून 2025 को पूरी दुनिया ने 11वां अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया। इस वर्ष की थीम “योग फॉर वन अर्थ, वन हेल्थ” ने मानव स्वास्थ्य और पृथ्वी के कल्याण के अटूट संबंध को रेखांकित किया। उत्तराखंड ने इस अवसर पर अपनी आध्यात्मिक विरासत और प्राकृतिक वैभव के साथ एक अद्वितीय मिसाल पेश की।

🌍 वैश्विक थीम: स्वास्थ्य से परे, एक दर्शन
- संपूर्ण जीवन दृष्टि: 2025 की थीम योग को सिर्फ शारीरिक कसरत नहीं, बल्कि सतत जीवनशैली का आधार मानती है। यह प्राचीन भारतीय दर्शन “वसुधैव कुटुम्बकम” (दुनिया एक परिवार) को जीवंत करती है ।
- संयुक्त राष्ट्र का संदेश: “स्वयं की देखभाल से हम पृथ्वी की देखभाल शुरू करते हैं” – यह विचार योग के माध्यम से वैश्विक एकजुटता को बढ़ावा देता है ।
⛰️ उत्तराखंड: जहां योग प्रकृति से मिलता है
- राजदूतों का योग संगम: 8 देशों के राजदूत (मेक्सिको, नेपाल, फिजी सहित) उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण पहुँचे। हरे-भरे परिदृश्य और पारंपरिक छोलिया नृत्य से उनका स्वागत किया गया। 21 जून को उन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के साथ योगासन किए ।
- ऋषिकेश: विश्व की योग राजधानी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऋषिकेश को “योग की वैश्विक केंद्र” बताते हुए कहा – “जब योग इतना लोकप्रिय नहीं था, तब भी दुनिया भर के लोग ऋषिकेश आते थे” । उन्होंने एक अमेरिकी नागरिक का उदाहरण दिया जिसने रुद्राक्ष की माला पहनकर अपना जीवन बदल लिया।
❄️ सर्दियों में योग: देवभूमि का नया आकर्षण
- पीएम मोदी का विजन: मार्च 2025 में हरसिल में आयोजित कार्यक्रम में पीएम मोदी ने “विंटर योगा रिट्रीट” की अपील की। उन्होंने कहा: “उत्तराखंड में ऑफ-सीजन नहीं होना चाहिए। यहाँ सर्दियों में बर्फ से ढके शांत क्षेत्रों में योग शिविर आयोजित किए जाएं” ।
- आध्यात्मिक नेताओं का समर्थन: परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा: “हमें उत्तराखंड को प्रदूषित किए बिना आना चाहिए” ।
🚵♂️ पर्यटन और विकास: दोहरा फोकस
- अवसंरचना उन्नयन: केदारनाथ रोपवे, हेमकुंड साहिब रोपवे और 900 किमी लंबी चारधाम सड़क परियोजना से यात्रा सुगम हुई है। 2014 में 18 लाख तीर्थयात्री चारधाम आते थे, जो अब बढ़कर 50 लाख हो गए हैं ।
- गाँवों का पुनर्जीवन: सीमावर्ती गाँवों को “अंतिम गाँव” से “प्रथम गाँव” में बदला जा रहा है। होमस्टे योजना से स्थानीय आय बढ़ी है ।
🌿 शरीर के 7 चक्र: योग से सक्रियता का विज्ञान
(Image: योगासन करते लोग, प्रत्येक आसन अलग चक्र को लक्षित करता हुआ)
योग की प्राचीन परंपरा मानव शरीर में स्थित 7 ऊर्जा केंद्रों (चक्रों) को संतुलित करने पर जोर देती है। 2025 के योग दिवस पर इन्हें सक्रिय करने वाले आसनों पर विशेष ध्यान दिया गया :
चक्र | शारीरिक स्थान | योगासन | लाभ |
---|---|---|---|
मूलाधार | रीढ़ का आधार | ताड़ासन (पर्वत मुद्रा) | स्थिरता, जमीन से जुड़ाव |
स्वाधिष्ठान | नाभि के नीचे | भद्रासन (कमल मुद्रा) | रचनात्मकता, भावनात्मक संतुलन |
मणिपुर | नाभि केंद्र | नौकासन (नाव मुद्रा) | पाचन, आत्मविश्वास |
अनाहत | हृदय | भुजंगासन (कोबरा मुद्रा) | प्रेम, करुणा |
विशुद्धि | गले | मत्स्यासन (मछली मुद्रा) | संचार, अभिव्यक्ति |
आज्ञा | भौंहों के बीच | बालासन (बाल मुद्रा) | अंतर्ज्ञान, मानसिक स्पष्टता |
सहस्रार | सिर के शीर्ष | शीर्षासन (सिर के बल) | आध्यात्मिक जागृति |
🧘♂️ योग दिवस 2025 की झलकियाँ
- आंध्र प्रदेश में महासमारोह: पीएम मोदी ने विशाखापट्टनम में 5 लाख लोगों के साथ योग किया। 26 किमी लंबे रामकृष्ण बीच पर यह विश्व का सबसे बड़ा योग कार्यक्रम था ।
- स्कूलों में योग संगम: बिहार सहित देशभर के सरकारी स्कूलों में सुबह 6:30 से 7:45 बजे तक विशेष योग सत्र हुए। अभिभावकों ने भी बच्चों के साथ भाग लिया ।
💡 निष्कर्ष: योग से उपजा एक नया भारत
उत्तराखंड ने योग दिवस 2025 को सिर्छ एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि जीवन पद्धति का उत्सव बना दिया। जहाँ एक ओर गैरसैंण में विदेशी राजदूतों ने प्रकृति की गोद में योग किया, वहीं पीएम मोदी के “विंटर टूरिज्म” विजन ने योग को स्थानीय अर्थव्यवस्था की धुरी बना दिया। योग अब व्यायाम से आगे बढ़कर वैश्विक शांति और पारिस्थितिक संतुलन का माध्यम बन चुका है – जैसा कि थीम “एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य” का सार है।
“योग हमें सिखाता है कि स्वस्थ व्यक्ति ही स्वस्थ ग्रह का निर्माण कर सकता है। उत्तराखंड इस सत्य का जीवंत प्रमाण है।” — स्वामी चिदानंद सरस्वती